prachin bharat ke pramukh samvat | प्राचीन भारत में प्रमुख संवत् – भारत के समान्य ज्ञान की इस पोस्ट में हम prachin bharat ke pramukh samvat – प्राचीन भारत में प्रमुख संवत् के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी और नोट्स प्राप्त करेंगे ये पोस्ट आगामी Exam REET, RAS, NET, RPSC, SSC के दृस्टि से बहुत ही महत्वपूर्ण है
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प्राचीन भारत में प्रमुख संवत्
1.कलि संवत् (3102 ई.पू.):- यह महाभारत युद्ध के 20 वर्ष बाद एवं राजा परीक्षित के जन्म के समय से प्रारम्भ होता है। एहोल अभिलेख में इसका उल्लेख है।
2.विक्रम संवत् (57-58 ई. पू.) :-
विक्रम संवत् को कृत संवत् या मालव संवत् भी कहते हैं। उज्जैन के राजा विक्रमादित्य द्वारा शकों पर विजय प्राप्त करने के उपलक्ष्य में इसे प्रारम्भ किया गया था। वर्तमान में भी भारत में यह संवत् प्रचलित है।
3. शक संवत् (78 ई.) :-
कुषाण शासक कनिष्क ने इसे प्रारम्भ किया शकों द्वारा दीर्घकाल तक इस संवत् को काम में लेने के कारण इसे शक संवत् कहा जाने लगा। शक संवत् ही भारत का राष्ट्रीय संवत् है।
4.गुप्त संवत् (319-20 ई.) :-
इसका प्रवर्तक गुप्त सम्राट चन्द्रगुप्त प्रथम था। गुजरात में वलभी के मैत्रक शासकों द्वारा भी इस संवत् का ही प्रयोग किया गया। अतः इसे वलभी संवत् भी कहा जाता है।
5. कलचुरि-चेदि संवत् (248 ई) :-
इस संवत् की स्थापना पश्चिमी भारत के आभीरवंशी नरेश ईश्वरसेन द्वारा की गई। बाद में इसे कलचुरि व चेदि शासकों द्वारा भी अपना लिया गया। त्रिकुटक नामक एक छोटे से वंश द्वारा मुस्लिम आक्रमणों के काल तक मध्यभारत में यह संवत् प्रचलित रहा।”
6.हर्ष संवत् (606 ई.)-
यह कन्नौज के शासक हर्षवर्धन द्वारा चलाया गया। नेपाल के लेखों में भी इस संवत् का प्रयोग पाया जाता है।
7. कलिंग संवत् :-
इसे महाभारत युद्ध के समय से प्रारम्भ माना जाता है। इस संवत् का प्रयोग दक्षिण भारत में अब भी पंचांग बनाने में किया जाता है।
8.सप्तर्षि संवत् :-
इसे लौकिक संवत् भी कहा जाता है। यह 11वीं सदी तक कश्मीर में प्रचलित था।
9.आनन्द विक्रम संवत् (1192 ई.) :-
इसका प्रयोग पृथ्वीराजरासो के कवि चन्दबरदाई ने किया है।
10.चालुक्य विक्रम संवत् (1076 ई.) :-
कल्याणी में चालुक्य शासक विक्रमादित्य षष्टम् ने अपने सिंहासनारोहण के उपलक्ष्य में इसे प्रारम्भ किया। बंगाल में लक्ष्मण संवत्, नेपाल में नेवार संवत् (879 ई.), मालाबार का कोल्लम संवत् (825 ई.), श्रीलंका में बुद्ध संवत् तथा जैन मतावलम्बियों में महावीर संवत् प्रचलन में रहे हैं।
prachin bharat ke pramukh samvat FAQ
Q 1 विक्रम संवत और ईस्वी सन् में कितने वर्ष का अंतर होता है ?
Ans – शक संवत Age Younger by 135 years, विक्रम संवत Age Elder by 135 years
Q 2 विक्रम संवत कितने वर्ष का होता है?
Ans – पू. 57 वर्ष प्रारंभ हुआ। यह संवत् मालव गण के सामूहिक प्रयत्नों द्वारा गर्दभिल्ल के पुत्र विक्रम के नेतृत्व में उस समय विदेशी माने जानेवाले शक लोगों की पराजय के स्मारक रूप में प्रचलित हुआ।
Q 3 विक्रम संवत की शुरुआत किसने की थी
Ans – हिन्दू धर्म में चैत्र शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा को नवसंवत की शुरुआत होती है. इसे भारतीय नववर्ष भी कहा जाता है. इसका आरम्भ विक्रमादित्य ने किया था, इसलिए इसे विक्रम संवत भी कहा जाता है. जानें- क्या होता है विक्रम संवत, इसकी शुरुआत और दूसरे कैलेंडर से कितना अलग है
Q 4 शक संवत के संस्थापक कौन थे?
Ans – शक संवत भारत का राष्ट्रीय संवत है जिसे कुषाण वंशी राजा कनिष्क ने 78 ई में शुरू किया।